गुरुवार, 9 सितंबर 2021

समाचार एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रस्तुत आध्यात्मिक सामग्री

 

Spiritual content of news and literary magazines

     समाचार एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में अध्यात्म किस रुप में प्रस्तुत होता है, जानना रोचक है, क्योंकि समाचार पत्रिकाओं की विषय वस्तु चारों ओर घट रही घटनाओं पर केंद्रित होती है, जिनसे जनता सीधे रुप में सारोकार रखती है। अध्यात्म क्षेत्र इनसे अछूता कैसे रह सकता है।

प्रस्तुत है, कुछ प्रचलित समाचार एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रस्तुत आध्यात्मिक सामग्री -

इंडिया टुडे

लिबिंग इंडिया लिमिटेड की इस प्रतिष्ठित पत्रिका में धर्म अध्यात्म पर कोई स्थायी स्तम्भ नहीं है न ही इसकी ऐसी कोई सामग्री देने की सम्पादकीय नीति दिखती है। कभी कभार इसमें धर्म को लेकर लेख आते हैं। जैसे – आस्था और विश्वास के दिलचस्प स्मारक[i], जुड़े बुद्ध से तार[ii], जो पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के अधिक हैं।

हाँ यदा कदा इसमें धर्म अध्यात्म को लेकर लेख आते हैं, वे भी तब जब इनको लेकर कोई विवाद खडा होता है, या कोई विशेष घटना घटित होती है। जैसे  बाबाओं के स्कैंडल, आशाराम बापू आश्रम विवाद आदि। कुम्भ जैसा वृहद एवं लोकप्रिय आयोजन भी इसकी विषयवस्तु रहता है।

वर्ष 2019 के शुरुआती अंकों में इंडिया टुडे में कवरेज को लेकर कुछ अभिनव प्रयोग दिखे, जिसके अंतर्गत सकारात्मक कंटेट को प्राथमिकता दी गई, साथ ही कुछ व्यवहारिक अध्यात्म की आवरण कथाएं प्रकाशित हुईं। 2 जनवरी में प्रकाशित नया भारत विशेषाँक में जहाँ ग्रामीण भारत में बदलाव के अग्रदूत व्यक्तियों एवं समूहों की प्रेरणादायक कहानियाँ प्रस्तुत की गईं, वहीं अंतिम पृष्ठ में राम कथावाचक संत मोरारी बापू का साक्षात्कार साधु और गणिका नाम[iii] से सवाल-जबाव स्तम्भ के अंतर्गत प्रकाशित हुआ। उम्मीद की ऊर्जा आवरण कथा के अंतर्गत सकारात्मकता की शक्ति (दमयंती दत्ता)[iv] के अंतर्गत जीवन में व्यवहारिक अध्यात्मके सुत्रों को साँझा किया गया। इसी के आगे खुशहाली की सुर्खियां के अंतर्गत जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय व्यक्तियों के सकारात्मक उदाहरण दिए गए हैं।[v] फरवरी 2019 के एक अंक में गाँधीजी के धर्म को लेकर सनातनी गाँधी का हिंदुत्व[vi] (प्रियवंद) प्रकाशित हुआ। 6 मार्च के अंक में अर्द्दकुम्भ के अवसर पर एक रहस्य लोक में[vii] शीर्षक के अंतर्गत नागा साधुओं पर सचित्र स्टोरी छपती है, जिसमें इनसे जुड़े विभिन्न रोचक पहलुओँ पर प्रकाश डाला गया है। गांधीजी की 150वीं जयंती पर अक्टूवर माह में महात्मा का महत्व[viii] नाम से गांधीजी की विरासत पर 10 आलेख प्रकाशित हुए।

 

आउटलुक

सच को समर्पित समाचार पत्रिका पंच लाईन से छपने बाली इस पत्रिका में भी इंडिया टुडे की ही तरह अध्यात्म को लेकर कोई स्थायी स्तम्भ नहीं है और इसमें भी कभी-कभी जो लेख इस विषय पर आते हैं, वे किसी घटना विशेष या कोई विवाद के बाद ही प्रकाशित होते हैं। कभी कभार इसमें लीक से हटकर आम लोगों पर आधारित विशेष कवरेज इसके व्यवहारिक अध्यात्म के स्वरुप को दर्शाती है। साल की दहलीज पर आशा शीर्षक से छपी आम इनसानों की खास इंसानियत गाथाएं[ix] इसका उदहारण है। ऐसे ही लोक आस्था कॉलम में भक्ति के ब्राँड हनुमान[x] पर छपा लेख।

2018 के 15 जनवरी के अंक में धर्म और कट्टरता को लेकर इसके चार लेख इस तरह से थे – कुंद विचारों के दोराहे पर[xi] (एक ओर विमार कट्टरता है, तो दूसरी ओर खोखली धर्म निरपेक्षता)(शिव विश्वनाथन), धर्म, राजनीति और हिंसा-प्रतिहिंसा[xii] (उपिंद्र सिंह), आहत भावनाओं से उपजा था कट्टर सिख पंथ[xiii] (जेएस ग्रेवाल), मुसलमान होने के मायने[xiv] (रख्शनदा जलील) और सद्भाव का सारथी है धर्म[xv] (जग्गी वासुदेव)। इसी तरह 2018 के अन्य अंकों में प्रकाशित लेख थे – महात्मा का आखिरी संदेश[xvi] (अपूर्वानन्द), कर्बला और हुसैनी व्राह्मण[xvii] (कुलदीप कुमार), गंगा प्रदूषण-महज कुंभ का ख्याल[xviii], सबरीमाला विवाद-दक्षिण में मंदिर सियासत[xix] आदि।

वर्ष 2019 के 18 अक्टूवर अंक में गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर कलि तारण गुरु नानक आया, गुरु का इस्लाम और अखण्ड परिक्रमा के अंतर्गत करतार पुर कोरिडोर को समेटते हुए आवरण कथा प्रस्तुत हुई।[xx] मई माह के अंक में जनादेश 2019 आवरण कथा के अंतर्गत, धर्मगुरु बाबा अब हुए बेअसर[xxi] नाम से चुनाव में बाबाओं व डेरों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया, जिसमें राम रहिम, आशाराम, रामपाल व अन्य समकालीन बाबाओं व धर्मगुरुओं को लिया गया है। सितम्बर माह में स्वतंत्रता की 73वीं बर्षगाँठ पर आजादी आजकल[xxii] विशेषांक प्रकाशित हुआ।

 

शुक्रवार

यह सम्भवतः एकमात्र समाचार पत्रिका है, जिसमें धर्म-अध्यात्म के नाम से एक स्थायी स्तम्भ शुरु हुआ और इसके अंतर्गत दो तीन लेख नियमित रुप से छपते रहे। लेकिन जुलाई 2010 से इसमें भी ये पृष्ठ समेट कर एक कॉलम तक सीमित कर दिए गए।

इसमें एक पृष्ठ भविष्य के नाम से मासिक राशिफल को लेकर रहता था। अध्यात्म के नाम पर छपे वर्ष 2010 के लेख इस तरह से रहे – जिंदा पीर झूलेलाल[xxiii], मानवता के महानायक-गुरु हरगोविन्द सिंह[xxiv], लो आ गई लोहड़ी, सवा लाख से एक लड़ाऊं – गुरुगोविन्द सिंह[xxv]। वर्ष 2009 में अध्यात्म के तहत लेख इस तरह से थे – नानक नाम चढ़दीं कला[xxvi], लेह के लामा नानक, दीप जलाएँ[xxvii], धन धन गुरुरामदास[xxviii], महाशक्तियों का त्रिकोण माँ विन्धयांचल[xxix], हरितालिका तीज[xxx], इंसानी स्वभाव है तनाव[xxxi], इक औंकार सतनाम[xxxii], मंगलमूरति मारुति नंदन[xxxiii] आदि।

लेखों से स्पष्ट है कि शुक्रवार पत्रिका में  अध्यात्म के अन्तर्गत आध्यात्मिक महापुरुषों के प्रेरणास्पद चरित्र या हिंदू धर्म के पर्व त्यौहार रहते थे।

इसके अतिरिक्त इस स्तम्भ के तहत धर्म एवं ज्योतिष को लेकर लेख आते रहे हैं जिनमें धर्म के नाम पर किसी धर्म का वर्णन, देवोपासना या तीर्थ यात्रा या पर्व त्यौहार रहे। ज्योतिषमें प्रायः दैनिक जीवन की समस्याओं के समाधान या सुखपूर्ण जीवन के नुस्खे रहे। वर्ष 2010 के ऐसे लेख रहे – पूरी होगी संतान की चाह, महंगाई का मारक मंत्र, पूरी होगी आस, काम करेगा टोटका आदि ज्योतिष, मंत्र, तंत्र आदि पर लेख आते रहे। महाकुंभ, 2010 को लेकर विभिन्न जिज्ञासाओँ का समाधान करते विशेष लेख भी इसमें रहे।[xxxiv]

आश्चर्य होता है कि इसने ये लेख एवं स्तम्भ जुलाई 2010 माह से बंद होते हैं और यह मात्र अंतिम पृष्ठ में सतसंग कॉलम तक सीमित हो जाता है। अंततः पत्रिका ही बंद हो जाती है। लेकिन इसमें शुरु किए गए आध्यात्मिक कंटेट के प्रयोग पाठकों की आध्यात्मिक अभिरुचि एवं विषय की महत्ता को देखते हुए सराहनीय एवं अनुकरणीय कदम माने जा सकते हैं।

 

कादम्बिनी

उत्कृष्ट पत्रकारिता को समर्पित इस पत्रिका में भी अध्यात्म को लेकर कोई स्थायी कॉलम नहीं है। इसमें भी इंडिया टुडे एवं आउटलुक की तर्ज में कभी कभार धर्म आस्था से सम्बन्धित लेख छपते हैं। जैसे अगस्त 2009 में छपा देवताओँ की टीआरपी।[xxxv] जिसमें आस्था के बाजार पर प्रकाश डाला गया था। ऊँची बातें कॉलम के तहत ज्ञान की तीन अवस्थाएँ[xxxvi] जैसे लेख अपवाद रुप में ही देखने को मिलते हैं। हरिद्वार महाकुम्भ के दौरान नागा साधुओँ के रहस्यमय जीवन पर इनका लेख – अपना श्राद्ध करके बनते हैं नागा साधु[xxxvii] छपा था।

हालाँकि कादम्बिनी की पाठ्य सामग्री रोचक, ज्ञानबर्धक एवं जीवन के हर पहलु से जुड़ी रहती है। पर्व त्यौहारों पर इसके विशेषाँक संस्कृति के आध्यात्मिक पहलुओं को कवर करते हैं और कुछ विशेषाँक व्यवहारिक अध्यात्म को समेटे होते हैं। इसके पहले पृष्ठ का अतीत के पन्नों के नाम से छपता प्रारम्भिक लेख काल चिंतन दार्शनिक गहराईयों को लिए होता है।

कादम्बिनी के जीवन पर गंभीर विमर्श लिए वर्ष 2018 के विशेषांक कुछ इस तरह से रहे। नया साल नई, चुनौतियाँ (जनवरी), रंग बरसे मन भीगे(मार्च), कितना बदल गया इंसान(जून), अपनी-अपनी आजादी(अगस्त), लौट आओ कृष्ण(सितम्बर), गाँधी पर बहस जरुरी है(अक्टूबर), दीप मेरे जल अप्रंकपित(नवम्बर) आदि। इसी तरह वर्ष 2019 के विशेषांक रहे – देख बहारें होली की(मार्च), रोशनी की तलाश में(अक्टूबर) आदि।

 

नवनीत

साहित्य और संस्कृति को समर्पित इस हिन्दी मासिक पत्रिका में अध्यात्म को लेकर एक लेख अवश्य रहता है। इसे ये चिंतन नामक स्तम्भ से प्रकाशित करते हैं। विषय सूची में हालाँकि इस स्तम्भ का जिक्र प्रायः न होना पाठकों को कुछ खटकता है। हालाँकि प्रतिष्ठित लेखकों के नाम से नियमित पाठक इनका अनुमान लगा लेते हैं।

वर्ष 2010 के अंकों में इस स्तम्भ में छपी हुई विषय वस्तु एवं इनके लेखक इस तरह से रहे – दिव्य आनन्द के विकास का प्रयोग[xxxviii] (आचार्य महाप्रज्ञ), मेरा हीरा हेराइगा कचरे मा[xxxix] (डॉ. दुर्गादत्त पाण्डेय), नैतिकता का आधार[xl] (आचार्य महाप्रज्ञ)। पिछले वर्षों के कुछ लेख इस तरह से रहे हैं, आचार्य महाप्रज्ञ -  लोभ है समस्या, संतोष है समाधान,[xli]आपने आध्यात्मिक परिवार बनाया है[xlii] ओशो – विज्ञान का घर गिर रहा है,[xliii] विज्ञान पाना है और धर्म मिट जाना,[xliv] विनोबा – विज्ञान और आत्मज्ञान में विभेद[xlv] आदि।

लेख प्रतिष्ठित आध्यात्मिक विभूतियों द्वारा लिखे होने के कारण पठनीय रहते हैं।साथ ही कुलपति उवाच नाम से भारतीय विद्या भवन के संस्थापक श्री केएम मुन्शी के संक्षिप्त लेख पठनीय रहते हैं, जो कुछ निम्न प्रकार से थे – जीवन धर्म(जून2018), युद्ध के रुप (मार्च2018), तब बुद्धि बल बढता है (फरवरी2017), सत्व-रजस और तमस(जून2017), सबसे मूल्यवान संगति (नवम्बर2017) और जीवन का उद्देश्य (अक्टूवर 2016), एकाग्र संकल्प (सितम्बर 2016) आदि।

अध्यक्षीय स्तम्भ में भारतीय विद्या भवन के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्रलाल मेहता का दो पृष्ठीय लेख रहता है, जो कुछ इस प्रकार से थे – महात्मा गाँधी और श्री राम नाम (जून 2018), अवसाद पर नियन्त्रण (फरवरी2017), योग (जून2017), दुखी होने से आसान है आनन्द से रहना (नवम्बर2017), सनातन धर्म (अक्टूवर2016), अध्यात्मवाद में विकासात्मक परिवर्तन (सितम्बर 2016) आदि।

इसके अतिरिक्त नवनीत में प्रकाशित अन्य आध्यात्मिक लेख रहे - सभी धर्मों, सभी आदर्शों, सभी अवतारों की जय हो[xlvi] (होमी दस्तूर) नीरज कविता को अहं मोक्ष मानते थे (प्रेम कुमार, बातचीत)।[xlvii] मूर्तियों में उजागर विष्णु का विश्वरुप।[xlviii] चिंतन स्तम्भ के अंतर्गत प्रकाशित कुछ लेख - प्रतीक अनंत का जीवित साक्षात्कार हैं[xlix] (डॉ. दुर्गादत्त पाण्डेय), जरुरत है व्यैक्तिक नैतिकता की[l] (कौशिक बसु) आदि। अन्य लेख – हिसाब एक कदम का (ओशो), एकला चलो रे[li] के अंतर्गत गांधी जी पर आधारित 9 लेख, धार्मिकता में क्लह की गुजाईश नहीं[lii] (दादा धर्माधिकारी), रामनवमी पर मर्यादा श्रीराम पर लेख[liii] आदि।

 

अहा जिन्दगी

तन मन जीवन की पहली सम्पूर्ण पत्रिका होने का दावा करने वाली इस लोकप्रिय पत्रिका में आत्म संवाद नाम से एक स्तम्भ अध्यात्म पर हर माह छपता रहा है। साक्षात्कार शैली में छपने वाला यह स्तम्भ पठनीय रहता था। साथ ही इसमें बीच बीच में धर्म अध्यात्म योग आदि पर विशेषाँक आते रहे हैं। इस दृष्टि से जून 2008 का महायोग विशेषाँक, आयुर्वेद महाविशेषाँक (वार्षिक अंक 2009), मुक्ति की माया (वर्ष 2009) उजाला विशेषाँक (नबम्वर, 2007) जैसे अंक पठनीय रहे। कभी कभार ध्यान योग पर भी लेख आते हैं। सकारात्मक पत्रकारिता की दिशा में इस पत्रिका का योगदान सराहनीय कहा जा सकता है।

वर्ष 2016 के दौरान इसमें प्रकाशित आध्यात्मिक लेख कुछ इस प्रकार रहे हैं –अकेलेपन में खिलना और महकना[liv](प्रतिभा कटियार),असल आनन्द औरजीवन की गुणवत्ता(लाल बहादुर वर्मा)[lv], किस राह पर छूट गई हमारी आनन्द कीबातें(अनुपमा ऋतु) आदि।मनुष्य आनन्द के लिए बना है[lvi], जो दलाई लामा की पुस्तक आनन्द का सरल मार्ग से लिया गया था। जुलाई माह की आवरण कथा मृत्यु-अन्त नहीं[lvii] पर आधारित थी, जिसमें इसके रहस्य को भिन्न-भिन्न दृष्टि से अनावृत करने का प्रयास किया गया था।अप्रैल 2016 के यात्रा अंक में लेह-लद्दाख, मेकडॉनल्ड-धर्मशाला, निमाड़, काशी जैसे स्थलों की आध्यात्मिक यात्राओं का वर्णन है।

2017 के सेहत विशेषांक में आयुर्वेद, पंच तत्व चिकित्सा व शाकाहार पर कवरेज मिलती है। नवम्बर 2017 की आवरण कथा आनन्द पर है, जिसके अंतर्गत निम्न लेख थे - आंतरिक शक्ति ही हमें आगे बढ़ाती है (जया जादवानी), सरल होकर तुम आनन्द हो जाओगे(अरुणा लाल) और देखें किस मिट्टी से सने हैं विचारों के हाथ (अनुपमा ऋतु)[lviii] आदि।

साथ ही विषय से सम्बन्धित इसकी कुछ कवर स्टोरीज - नगर कीर्तन के अंतर्गत ज्योतिर्लिंगों में आद्यलिंग सोमनाथ (डॉ. प्रमोद मालवीय),[lix]यात्रा का अंतरंग के अंतर्गत, यात्रा और तीर्थाटन का भेद,[lx]बाट जोहता ब्रज (अनिरुद्ध शर्मा)[lxi] हिमालय की कंदराओं का देवपुष्प[lxii]– ब्रह्मकमल (अनिरुद्ध सेमवाल), शाक्तोपासना के अंतर्गत देवी के दीप्त प्रतिरुप (प्रयाग शुक्ला), जिंदगी की कीताब, मिट्टी से मानुष बनाते महात्मा - महात्मा गाँधी (नारायण देसाई)[lxiii] आदि।

 

द वीक

मानवीय संस्पर्श (ह्यूमन टच) से युक्त होने का दावा करने वाली इस पत्रिका में धर्म अध्यात्म विषय पर कोई कॉलम नहीं है। साप्ताहिक भविष्यवाणी करता ज्योतिष को लेकर एक पृष्ठ अवश्य रहता है। मानवीय सरोकारों को लेकर लड़ने वालों पर न्यू एज फाइटर के नाम से इसकी विशेष कवरेज[lxiv] को अध्यात्म के व्यवहारिक पक्ष से जोड़ा जा सकता है। ऐसी कवर स्टोरीज इसमें यदा-कदा प्रकाशित होती रहती हैं।

वर्ष 2019 में ऐसी कवरेज कुछ इस तरह से रही। गुरु नानकजी के 550वें प्रकाश पर्व पर द स्पलेंडिड सिक्ख विषय से कवर स्टोरी छपती है।[lxv]दिसम्बर अंक में मैन ऑफ द ईअर[lxvi]के अंतर्गत वनस्पति वैज्ञानिक एवं पर्यावरणण यौद्धा डॉ. माधव गाडगिल की कवर स्टोरी प्रकाशित होती है।

 

फ्रँट लाइन

द हिन्दु समूह की अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका में भी धर्म अध्यात्म को लेकर कोई कॉलम नहीं है। हाँ यदा कदा लोक संस्कृति, पुरातत्व, इतिहास को लेकर लेख आते रहते हैं। इसमें एक स्तम्भ संस्कृति और कला को लेकर रहता है।

       इस तरह समाचार पत्रिकाओं में अध्यात्म को लेकर प्रायः कोई स्तम्भ नहीं रहता, जबकि साहित्यिक पत्रिकाओं में सीमित किंतु नियमित कवरेज होती रहती है। समाचार पत्रिकाओं में अध्यात्म की कवरेज को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं दिखती, वे इसके समाचार पक्ष तक ही सीमित दिखते हैं, वह भी अधिकाँशतः तब, जब धर्म-अध्यात्म से जुड़ा कोई नकारात्मक या सनसनाहट भरा मुद्दा उनके हाथ लगता हो। ये अध्यात्म के सकारात्मक एवं उज्जवल पक्ष को कवर करने के प्रति अधिक सचेष्ट नहीं दिखतीं। जबकि साहित्यिक पत्रिकाओं में अध्यात्म को लेकर उचित कवरेज के प्रयास को अपनी साहित्यिक सीमाओं में करते देखा जा सकता है।

संदर्भ -



[i]. इंडिया टुडे, लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड, 23 दिसम्बर, 2009, पृ.52

[ii]. इंडिया टुडे,लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड,9 सितम्बर,2009,पृ.58

[iii]इंडिया टुडे, लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड, 2 जनवरी, 2019, पृ.114

[iv]इंडिया टुडे, लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड, 16 जनवरी, 2019, पृ.67

[v]वही, पृ.20

[vi]इंडिया टुडे, लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड, 20 फरवरी, 2019, पृ.76

[vii]इंडिया टुडे, लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड, 6 मार्च, 2019, पृ.68

[viii]इंडिया टुडे, लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड, 9 अक्टूवर, 2019, पृ.13

[ix]. आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., जनवरी, 2009, पृ.32

[x]. आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., फरवरी, 2010, पृ.58

[xi]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 15 जनवरी, 2018, पृ.52

[xii]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 15 जनवरी, 2018, पृ.58

[xiii]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 15 जनवरी, 2018, पृ.62

[xiv]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 15 जनवरी, 2018, पृ.67

[xv]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 15 जनवरी, 2018, पृ.70

[xvi]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 12 फरवरी, 2018, पृ.60

[xvii]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 8 अक्टूवर, 2018, पृ.59

[xviii]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 31 दिसम्बर,2018, पृ.44

[xix]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 17दिसम्बर, 2018, पृ.40

[xx]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 18 नवम्बर, 2019, पृ.48,50,54

[xxi]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 6 मई, 2019, पृ.50

[xxii]आउटलुक, आउटलुक पब्लिशिंग प्रा. लि., 9 सितम्बर, 2019

[xxiii]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 45, 13 से 19 मार्च, 2010, पृ.79

[xxiv]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 39, 30 जनवरी से 5 फरवरी, 2010, पृ.83

[xxv]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 39, 30 जनवरी से 5 फरवरी, 2010, पृ.82

[xxvi]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 26, 31 अक्टूवर से 6 नबम्बर, 2009, पृ.79

[xxvii]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 23, 10 से 16 अक्टूवर, 2009, पृ.80

[xxviii]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 22, 3 से 9 अक्टूवर, 2009, पृ.79

[xxix]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 1, अंक 21, 27 सितम्बर से 3 अक्टूवर, 2009, पृ.80

[xxx]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 16, 22 से 28 अगस्त, 2009, पृ.80

[xxxi]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 14, 8 से 14 अगस्त, 2009, पृ.81

[xxxii]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 10, 11 से 17 जुलाई, 2009, पृ.80

[xxxiii]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 1, अंक 41, 14 से 20 फरवरी, 2009, पृ.80

[xxxiv]. शुक्रवार, पर्ल्स न्यूज नेटवर्क प्रा. लि., वर्ष 2, अंक 36, 9 से 15 जनवरी, 2010, पृ.83

[xxxv]. कादम्बिनी, एचटी मीडिया लि., अगस्त 2009, पृ. 10-12

[xxxvi]. कादम्बिनी, एचटी मीडिया लि., नबम्वर, 2009, पृ.5

[xxxvii]. कादम्बिनी, एचटी मीडिया लि., मई, 2010, पृ. 26-27

[xxxviii]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, मुम्बई, मई, 2010, पृ. 91

[xxxix]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, अप्रैल, 2010, पृ.101

[xl]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, फरवरी, 2010, पृ.120

[xli]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, फरवरी, 2010, पृ. 83

[xlii]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, मई, 2008, पृ. 38

[xliii]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, सितम्बर, 2008, 101

[xliv]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, जुलाई, 2008, पृ.64

[xlv]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, जून, 2018, पृ.46

[xlvi]नवनीत, भारतीय विद्या भवन, जून, 2008, पृ. 101

[xlvii]नवनीत, भारतीय विद्या भवन, जून, 2017, पृ.62

[xlviii]नवनीत, भारतीय विद्या भवन, जून, 2017, पृ.23

[xlix]नवनीत, भारतीय विद्या भवन, अगस्त, 2017, पृ.123

[l]नवनीत, भारतीय विद्या भवन, जून, 2018, पृ.129

[li]नवनीत, भारतीय विद्या भवन, अक्टूबर, 2016, पृ.12-46

[lii]नवनीत, भारतीय विद्या भवन, अगस्त 2017, प-.52

[liii]नवनीत, भारतीय विद्या भवन, मार्च 2019, पृ.58

[liv]आलोक श्रीवास्तव(सं.), अहा जिंदगी, जून 2016, पृ.10      

[lv]आलोक श्रीवास्तव(सं.), अहा जिंदगी, जून 2016, पृ.

[lvi]आलोक श्रीवास्तव(सं.), अहा जिंदगी, जून 2016, पृ.8

[lvii]आलोक श्रीवास्तव(सं.), अहा जिंदगी, जुलाई 2016, पृ.8

[lviii]आलोक श्रीवास्तव(सं.), अहा जिंदगी, नवम्बर 2017, पृ.10,12,14

[lix]रचना समंदर(सं.),अहा जिंदगी, फरवरी,पृ.30

[lx]रचना समंदर(सं.),अहा जिंदगी, अप्रैल 2018,पृ.28

[lxi]रचना समंदर(सं.), अहा जिंदगी, सितम्बर 2018, पृ.40

[lxii]वही, पृ.39

[lxiii]रचना समंदर(सं.), अहा जिंदगी, अक्टूबर2018, पृ.13, 66

[lxiv]. The Week,  MalayamManorma Publication,   August, 2009,   pp. 16-31

[lxv]The Week,  MalayamManorma Publication,   November, 2019,   pp. 38

[lxvi]The Week,  MalayamManorma Publication,   15 December, 2019,   p.20

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