रविवार, 26 सितंबर 2021

आध्यात्मिक पत्रिकाओं की विषयवस्तु एवं प्रस्तुतीकरण

 Spiritual magazines and their Content

आध्यात्मिक पत्रकारिता की वास्तविक संवाहक तो वे पत्रिकाएं हैं, जो अध्यात्म को लेकर विशुद्ध रुप से पारमार्थिक उद्देश्य के साथ निष्काम भाव से प्रकाशित हो रही हैं। 

इनमें कुछ उल्लेखनीय पत्रिकाओं का वर्णन किया जा रहा है -

कल्याण –

गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित हो रही यह शायद सबसे पुरानी नियमित रुप से हिंदी भाषा की आध्यात्मिक पत्रिका है। हनुमानप्रसाद पोद्दार, जयदयाल गोयन्दका, स्वामी श्रीरामसुखदास जैसे संत मनीषी इसके मूर्धन्य सम्पादक रहे हैं। इसमें प्रमुखतया सनातन धर्म के धर्म-अध्यात्मपरक लेख दिए जाते हैं, जो शास्त्रीय आधार पर पुष्ट दिखते हैं। इसमें प्रतिष्ठित संतों महापुरुषों के अतिरिक्त साधकों, मनीषी विचारकों एवं अपने विषय के अधिकारी विद्वानों के लेख छपते हैं। शास्त्रोक्त प्रामाणिकता एवं विश्वसनीय सामग्री के लिए प्रख्यात यह पत्रिका सनातन धर्मावलम्वियों के बीच खासी लोकप्रिय है। वर्षभर के छपने वाले इसके विशेषाँक संग्रहणीय रहते हैं। इस समय कल्याण के सम्पादक श्री राधेश्याम खेमका तथा सह-सम्पादक डॉ.प्रेम प्रकाश लक्कड़ हैं।

अगस्त 1926 से अनवरत प्रकाशित यह मासिक पत्रिका डेढ़-दो लाख की संख्या में प्रकाशित होती है और इसके विशेषाँक तो पाँच लाख से ऊपर की संख्या में छपते हैं। कल्याण के पाठकों की संख्या दुनियाँ के सभी देशों में है औऱ इसे हिन्दू ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के अन्य धर्मावलम्बी भी बड़ी श्रद्धा और जिज्ञासा से पढ़ते हैं। इस रुप में कल्याण का एक अन्तर्राष्ट्रीय महत्व है।[i]बिना किसी विज्ञापन के इसके प्रकाशित होने की गरिमामयी परम्परा आज भी जारी है।

वर्षवार इसके विशेषांकों की सूचि वेबलिंक पर देखी जा सकती है।[ii]52 पृष्ठीय कल्याण पत्रिका की मासिक प्रति का मूल्य 10 रुपए रहता है।

 

अखण्ड ज्योति –

गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा प्रवर्तित एवं संपादित यह मासिक पत्रिका 1940 से अनवरत प्रकाशित हो रही है। इसके वर्तमान सम्पादक हैं, आचार्यश्री के मनीषी शिष्य– डॉ. प्रणव पण्ड्या।

लगभग सात लाख की संख्या में प्रकाशित होने वाली यह पत्रिका संभवतः सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली आध्यात्मिक पत्रिका है, जो न केवल गायत्री परिवार के बीच में लोकप्रिय है, बल्कि अध्यात्म प्रेमी एवं जीवन उत्कर्ष के अभीप्सु प्रबुद्ध वर्ग के बीच भी खासी चर्चित एवं पठनीय है। आध्यात्मिक जीवन दृष्ठि एवं जीवन शैली को प्रतिपादन करने वाली यह पत्रिका वैज्ञानिक दृष्टिकोण लिए है। अतः यह प्रगतिशील पाठकों के बीच ग्राह्य है। कल्याण की तरह बिना किसी विज्ञापन के लागत मूल्य पर उपलब्ध यह पत्रिका स्वयं में व्यवसायिकता के दलदल में धंसी पत्रिकाओँ के लिए एक सीख है।

व्यक्ति, परिवार एवं समाज निर्माण से लेकर राष्ट्र चिंतन एवं वैश्विक संवेदना लिए यह पत्रिका आज भी इसके प्रवर्तक युगऋषि पं.श्रीराम शर्मा द्वारा प्रवर्तित आध्यात्मिक पत्रकारिता की परम्परा को बखूबी आगे बढ़ा रही है।हिंदी व अंग्रेजी के अतिरिक्त अखण्ड ज्योति सात क्षेत्रीय भाषाओं, यथा – मराठी, गुजराती, उड़िया, बंगला, तेलगू, कन्नड़, मलयालम में भी प्रकाशित होती है।

इसके प्रचलित स्तम्भ रहते हैं – प्रथम पृष्ठ का आध्यात्मिक चिंतन, राष्ट्र के ज्वलंत मुद्दों को लेकर विशेष सामयिक चिंतन, ऋषियों द्वारा लिखे गए आध्यात्मिक शास्त्रों की युगानुकूल वैज्ञानिक, व्यवहारिक एवं प्रगतिशील व्याख्या, स्वास्थ्य को लेकर आयुर्वेद, अध्यात्म का वैज्ञानिक प्रस्तुतिकरण करता ब्रह्मवर्चस देवसंस्कृति शोध सार, आचार्य़श्री रामशर्मा के अध्यात्म के मर्म को उदघाटन करने वाली व कर्तव्य पथ पर चलने के लिए झकझोरने वाली परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी, आचार्यश्री की जीवन कथा – चेतना की शिखर यात्रा, गीता की समयानुकूल व्यवहारिक व्याख्या  करता युगगीता, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय की हलचलों पर केंद्रित विश्वविद्यालय परिसर से तथा संपादक का नैष्ठिक पाठकों से संवाद स्थापित करता अपनों से अपनी बात स्तम्भ आदि।

इनके अतिरिक्त व्यवहारिक अध्यात्म, वैज्ञानिक अध्यात्म को लेकर लेख इसमें प्रकाशित होते हैं। प्रत्येक लेख के साथ मार्मिक प्रेरक प्रसंग लिए पैनल भी अखंड ज्योति की एक मौलिक विशेषता है, जो सर्वसाधारण पाठकों के बीच खासे लोकप्रिय रहते हैं।

कागज में छपी 68 पृष्ठीय अखण्ड ज्योति की मासिक कीमत 19 रुपए एक प्रति रहती है।

 

लाइफ पॉजिटिव

पाठक के आत्मविकास का पूर्ण स्रोत का दावा करने वाली यह मासिक पत्रिका सुमा वर्गीज के सम्पादकत्व में प्रकाशित होती रही है। 1996 में शुरु होने वाली यह पत्रिका भारत में आध्यात्मिक पत्रकारिता शुरु करने का दावा भी करती है।[iii] हालाँकियह दावा विचारणीय है क्योंकि प्रबुद्ध भारत, वेदान्त केसरी, कल्याण एवं अखण्ड ज्योति जैसी पत्रिकाएँ आजादी से पूर्व से ही बिना किसी अनियमितता के अनवरत रुप में प्रकाशित हो रही हैं।

हिंदी में जहाँ यह आपके आत्मविकास का पूर्ण स्रोत्र, पंच लाईन के साथ प्रकाशित होती है, वहीं अंग्रेजी में यह यूअर पर्सनल एंड स्प्रिचुअल ग्रोथ कंपेनियन पंच लाईन के साथ प्रकाशित होती है। लाइफ पॉजिटिव के वर्ष 2019 के अंग्रेजी संस्करणों की विषय वस्तु कुछ इस तरह से रही। इसके जनवरी अंक के मुख्य लेख थे – मीट गोरजी-द गुरु ऑफ लव, डिकोडिंग मिनिमलिज्म, साईको न्यूरोविक प्रोगामिंग-सीरिज6, द पावर ऑफ पोसिबल थिंकिंग, गुरुज्ञान वाई मोहनजी, स्प्रिचुअल ट्रेबल(ब्रदीनाथजी) आदि।[iv] इसके मई माह के अंक के मुख्य लेख रहे – होउ टू ओवरकम ट्रोमा, गुरुज्ञान वाई दादाश्रीजी, साईको न्यूरोविक प्रोगामिंग-सीरिज10, मीट एलिटोम- दे मेन हू लिव्ज ऑन ब्रीथ एलोन, सरेन्डर टू यूअर इन्नर गाईड, सेक्रड साउण्ड (ओम चेंटिंग),स्प्रिचुअल ट्रेबल(दार्जिलिंग एंडसिक्किम मोनेस्ट्रीज) आदि।[v] इसके दिसम्बर अंक के मुख्य लेख रहे – सी दी बिग पिक्चर, हाउ टु डू जलयोगा, मीट शेखर सुमन – द मैलो एचीवर, एचआर नागेंद्र – पीएम मोदीज योगा गुरु, गुरु स्पीक – स्वामी चिदानन्द सरस्वती आदि।[vi]

लाईफ पाजिटिव केहिंदी संस्करण की कीमत मासिक प्रति 30 रुपए और अंग्रेजी संस्करण की 100 रुपए रहती है।

 

स्वर्ण हंस –

1976 से श्रीअरविंद आश्रम पांडिचेरी से अनवरत रुप से प्रकाशित हो रही यह त्रैमासिक पत्रिका एक साधिका के एकला प्रयास की जीवंत दास्ताँ है। श्रीअरविंद आश्रम से हिंदी में छपने वाली इस पत्रिका की संस्थापिका, संपादिका एवं प्रकाशिका हैं – श्यामा कुमारी। पत्रिका के लगभग सभी लेख संपादिका द्वारा रचित, संकलित एवं अनुदित रहते हैं।

इसके स्थायी स्तम्भ हैं – संपादकीय, सत्य कथा, मधुर कहानी, नमन, पर्यावरण, मत भूलो कुर्बानी, जाको राखे सांइयां, स्वास्थ्य और रोग, जीने की कला, नारी नए युग की, श्री अरविंद की वाणी, बाल तरुण मंचःकविता आदि।

सामयिक मुद्दों पर सकारात्मक पत्रकारिता की यह एक मिसाल है, जो नकारात्मकता से भरे आधुनिक परिवेश में एक आशादीप की तरह है। अध्यात्म के गूढ पक्ष न होते हुए भी इसके व्यवहारिक स्वरुप के दिग्दर्शन इसमें होते हैं। और पढ़ने वालों को जीवन एवं अस्तित्व के प्रति एक सकारात्मक भाव से भरते हैं।

    

वेद अमृत –

पायोनियर बुक कं. प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित वेद अमृत मुम्बई से प्रकाशित होती रही है। इसके प्रमुख स्तम्भ रहते थे– धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, कहानी, जीने की कला, स्वास्थ्य, वैज्ञानिकता, आधुनिक संत और बालवृंद। इनके अतिरिक्त स्थायी सतम्भ रहे हैं - गीता संदेश, दर्शनीय स्थल, माह के पर्व-त्यौहार, वैदिक मंत्र, आसन, राशिफल आदि।

सरल भाषा में धर्म ग्रँथों, महापुरुषों के जीवन प्रसंग से लेकर भारतीय धर्म संस्कृति के सनातन प्रवाह की वाहिका एवं लोकोपयोगी सामग्री से भरी यह पत्रिका अपनी पंचलाइन - जीवन का आधार के अनुरुप पठनीय रही है।पत्रिका साज सज्जा की दृष्टि से काफी स्तरीय दिखती थी। इसके फ्रंट, वेक पृष्ठों में पत्रिकाओँ के रंगीन विज्ञापन रहते थे, जो कभी-कभी पत्रिका की गरिमा के अनुकूल नहीं रहते, जैसे सितम्बर 2008।

लेकिन कुलमिलाकर पत्रिका पठनीय रहती थी। दुर्भाग्य से इस स्तरीय पत्रिका का प्रकाशन बंद हो जाता है और आज यह उपलब्ध नहीं है।

 

श्री अरविंद कर्मधारा –

1970 से अनवरत रुप से श्रीअरविंद आश्रम दिल्ली से प्रकाशित हो रही यह मासिक पत्रिका श्रीअरविंद और श्रीमाँ की शिक्षाओँ पर आधारित है। उनके शिष्यवृंद मिलकर इस पत्रिका को निकाल रहे हैं। इसके आदि संस्थापक रहे हैं श्री सुरेन्द्र नाथ जौहर फकीर और सम्पादक त्रियुगी नाराय़ण। श्रीअरविंद दृष्टि पर आधारित भावी विश्व की मासिक विवेचना इनकी आदि पंच लाइन रही है। इसमें विशुद्ध रुप से आध्यात्मिक सामग्री रहती है। पत्रिका के अंत में ब्लैक एवं व्हाइट में विज्ञापन रहते हैं। साज सज्जा की दृष्टि से पत्रिका सचेष्ट नहीं दिखती।

इसके 21फरवरी 2017 अंकमें उपलब्ध विषय सूचि के आधार पर इसकी सामग्री का अनुमान लगाया जा सकता है। इस अंक में कवर विषय रहे हैं, आवाह्न, नववर्ष ध्यान, श्री अरविंद के पूर्णयोग का स्वरुप, प्रफुल्लता, करुणामयी दीदी-एक दिव्य व्यक्तित्व, श्रीअरविंद काव्य चयन, अभियान के लिए आमन्त्रण-श्रीमाँ, भय से मुक्ति विधियाँ-श्रीमाँ के वचन, आंतरिक परिपूर्णता-श्रीमाँ, एक महामानव की यात्रा, हमारे पर्वत-हमारे गौरव, गुरुमंत्र, सावित्री, गतिविधियाँ आदि।[vii]

 

ओशो वर्ल्ड –

रजनीश के प्रवचनों एवं शिक्षाओँ पर आधारित यह मासिक हिंदी पत्रिका सुंदर पृष्ठों, रंगीन छपाई एवं स्तरीय साज सज्जा के साथ ओशो वर्ल्ड फाउँडेशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित की जाती है। स्वामी चैतन्य कीर्ति इसके वर्तमान सम्पादक हैं। इसमें एक विषय को आमुख कथा के अंतर्गत उठाया जाता है। मुख्य बिंदु के तहत जीवन बोध के लेख रहते हैं। नियमित स्तम्भ में संपादकीय, समाचार समीक्षा, पुस्तक परिचय, ध्यान विधि, मेरी प्रिय कहानी, हंसता हुआ धर्म आदि स्तम्भ रहते हैं।

दिसम्बर 2019 के इसके ओशो जन्म दिवस विशेषांक के मुख्य लेख इस तरह से थे[viii]- आमुख कथा में थे - जोरबा दि बुद्धा-एक नया मनुष्य, अहोभाव का आनन्द, ध्यान सरल है – आप जटिल हैं, ध्यान में खिलता, करुणा का फूल, नया मनुष्य है मेरा सन्यासी। इसके मुख्य बिंदु के अंतर्गत थे – मृत्यु से मित्रता साधो, दुख का उत्सव कैसे मनाएं, तुम हो परमात्मा के मंदिर, माया क्या और सत्य क्या, विकास क्रम – विद्यार्थी, शिष्य और भक्त, डुबकियां-रंग की गागर में, सन्यास-ध्यान और प्रेम का संगम। विशेष आकर्षण में थे – खुशी का क्वच, निर्बीज समाधि का अर्थ, जीवन अनन्त सार्थकता है, नृत्य – आत्मा का या शरीर का, हर चितवन को प्यार न समझो, अंतस बदले तो आचरण बदले, धर्म परम लक्ष्य है, प्रेम में कंजूसी कैसी। इनके अतिरिक्त ओशो वर्ल्ड के नियमित स्तंभ हैं – सम्पादकीय, संदेश पत्र, धारावाहिक, जीवन शैली, रहस्यदर्शी सद्गुरु, बोध कथा, विज्ञान-भैरव तंत्र, स्वास्थ्य, मेरा प्रिय भारत, पुस्तक परिचय, समाचार समीक्षा, ओशो के ध्यान उपवन, आगामी ध्यान शिविर।[ix]

एक संबुद्ध सद्गुरु का संदेश पंच लाईन के साथ प्रकाशित यह पत्रिका व्यक्ति, परिवार, समाज एवं विश्व के ज्वलंत मुद्दों पर आचार्य रजनीश के प्रखर विचारों से लैंस रहती है। व्यक्ति को आध्यात्मिक पथ पर प्रकाशित करने वाले इसके लेखों को प्रबुद्ध पाठक नजरंदाज नहीं कर सकते।

 

प्रबुद्ध भारत

स्वामी विवेकानन्द द्वारा 1896 में शुरु की गई यह अंग्रेजी भाषा की मासिक पत्रिका अद्वैत आश्रम चम्पावत से संपादित होती है और अद्वैत आश्रम कलकत्ता से प्रकाशित होती है। स्वामी विवेकान्द की प्रेरणा से शुरु इस पत्रिका में धर्म, अध्यात्म,दर्शनशास्त्र, विज्ञान एवं जनहित से संबंधित लेख प्रकाशित किए जाते हैं।इसमें रामकृष्ण परमहंस एवं स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओँ पर आधारित अध्यात्म एवं वेदान्त दर्शन के व्यवहारिक एवं साधनात्मक स्वरुप पर सामग्री रहती है।

प्रबुद्ध भारत अर्थात् जाग्रत भारत के जनवरी 2020 के विशेष अंक में प्रस्तुत लेख कुछ इस प्रकार से थे, जिनके अवलोकन करने पर इसकी विषयु वस्तु का अनुमान लगाया जा सकता है। पत्रिका के कवर बैक में स्वामी विवेकानन्द का संदेश रोड़ दू विज्डम (ज्ञान की राह) छपा है। ट्रेडिशनल विज्डम (आचार्य शंकर की एकश्लोकि), सम्पादकीय –प्रेक्टसिंग अद्वैता, व्हाट वेदान्ता मीन्ज टू मी (स्वामी चेतनानन्द),स्वामी विवेकानन्द विजन ऑफ अद्वैता (स्वामी आत्मारुपानन्द), अद्वेता इन ब्रीफ (स्वामी नित्यस्थानन्द), द वन एंड द मेनी आर नोट टू (स्वामी त्यागानन्द), अद्वैता वेदान्ता, स्वामी विवेकानन्दा एंड दे ग्लोबल क्नेटेक्स्ट (स्वामी सत्यप्रियानन्द), विजन्ज ऑफ अद्वैत वेदान्त (स्वामी कृतार्थानन्द),अद्वैता वेदान्ता – लिविंग, पोइटिक इन एवरीडे लाइफ, स्वामी विवेकाकानन्द कंप्रेहेंसिव विजन (स्वामी आत्मप्रियानन्द), द इडिटर्मिनेट टेक्नोलॉजी (स्वामी सुनिर्मलानन्द), द सिग्निफिकेंस ऑफ द महावाक्याज (आत्मज्ञानानन्द),  सरेंडरिंग द आई इन अद्वैता साधना (परिव्राज्का शुद्धात्माप्राण), अद्वैत वेदान्त-इट्स विजन एंड पोसिविलिटीज (स्वामी सत्यमायानन्द), अद्वैत- इंडियाज ग्रांड कंट्रिव्यूशन टू द वर्ल्ड (स्वामी आत्मज्ञानानन्द), कांशियेसनेस एंड सेल्फ इन अद्वैत वेदान्त (स्वामी सर्वप्रियानन्द), ब्रह्मसुत्र भाष्या निर्णय - ए सिंक्रेटिक स्टडी (स्वामी चिदघनानन्द पुरी), श्रीकृष्णा इन आचार्य शंकराज भगवद्गीता कमेंट्री (चक्रवर्ती रामप्रसाद), द बोडी इन अद्वैता एंड फिनोमेनोलॉजी – टू नोन-ड्यूलिज्म एंड थ्री नल-प्वाइंट (ड्रिउ लैडर), मेनेजमेंट लेसन्ज फ्रॉम अद्वैता (भावेश ए किंखाब्वाला), आचार्या शंकराज कमेंट्रीज ऑन द प्रेयर एट द आवर ऑफ डेथ इन द ईशा एंड वृहदारण्यक उपनिषद (इवान एंड्रीजेनिक), वियोंड द ब्रेन – द इंपैक्ट ऑफ अद्वैत फिलोसफी ऑन कांशियेस स्टडीज (डॉ. संगीता मेनन), द अद्वैता दर्शनम् – द विजन ऑफ वननेस (स्वामी बुद्धानन्द), द फ्लाअड डाईकोटमी ऑफ दुर्गा महिशासुर – एन अद्वैतिक पोस्टस्क्रिप्ट (दीपशिखा साही), माया – एक कन्सेप्चुअल हिस्ट्री (डॉ. अर्पिता मित्रा) आदि। इसके अतिरिक्त कुछ स्तम्भ युवा एवं बच्चों के लिए यंग आइज एवं बालबोध नाम से थे। साथ ही अंत मेंमिशन की गतिविधियों को लेकर समाचार प्रकाशित रहते हैं।

68 पृष्ठीय इस पत्रिका का दाम 15 रुपए रहता है।

 

वेदान्त केसरी

यह रामकृष्ण सम्प्रदाय की एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मासिक पत्रिका है, जो 1914 से अनवरत रुप से अंग्रेजी भाषा में रामकृष्ण मठ चैन्नई से प्रकाशित हो रहीहै। इसके वर्तमान सम्पादक हैं – स्वामी महामेधानन्द। पत्रिका अपने प्रकाशन के 106वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इसके फीचर लेख के अंतर्गत स्थायी स्तम्भ रहते हैं– दक्षिणमूर्ति स्रोत्र, युगवाणी, सम्पादकीय, रेमीनेंसिस (संस्मरण), विवेकानन्द वे, परिप्रश्ना, बुक रिब्यू, व्हाट इज रिलीजन, ट्रोपिक्ल म्यूजिंग, ओर्डर ओन द मार्च। इन स्थायी स्तम्भों के अतिरिक्त इसके हर अंक में अलग-अलग लेख रहते हैं। इसके अगस्त 2019 के अंक के विशेष लेख थे – ग्रो एंड डिजायन युअर लाइफ, गो फोर्वार्ड, फिलोसोफी ऑफ भग्वदगीता, घटिका – एन एंशियेंट एज्यूकेशनल इंस्टीच्यूशन, ए स्पेशल गिफ्त बाई सुभाष चन्द्र बोस, पूर्वा - मैजिक, मार्येक्ल एंड द मिस्टिक्ल टवेल्व आदि।

इस तरह पत्रिका की विषयवस्तु अध्यात्म एवं जीवन के प्रति समन्वयकारी दृष्टिकोण रहती है, जिसमें भारतीय आध्यात्मिक चिंतन, विशेषरुप में श्रीरामकृष्णपरमहंस, माँ शारदा, स्वामी विवेकानन्द एवं श्रीरामकृष्ण के अन्य महान शिष्यों के जीवन एवं चिंतन पर आधारित वेदांतिक शिक्षाओं को प्रकाशित किया जाता है। वर्तमान में इसकी 12,000 से अधिक मासिक प्रतियाँ छपती हैं, जो देश-विदेश में पढ़ी जाती हैं।[x]

विवेक ज्योति

रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द आश्रम, रायपुर से प्रकाशित होने वाली यह मासिक हिन्दी पत्रिका धर्म, दर्शन, शिक्षा, संस्कृति और जीवनोपयोगी सामग्री को प्रकाशित करती है। आत्मनो मोक्षाय जगतहिताय के लक्ष्य को लेकर चल रही इस पत्रिका कासम्पादन इस समय स्वामी प्रपत्यानन्द कर रहे हैं व इसके सह सम्पादक हैं – स्वामी पद्माक्षानन्द। वर्ष 2019 में इसके प्रकाशन का 57वाँ वर्ष चल रहा है। श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द भावधारा से अनुप्राणित इस पत्रिका के सितम्बर 2019 अंक की विषय वस्तु थी –विवेकानन्द वन्दना, पुरखों की थाती (संस्कृत सुभाषित), स्वामी विवेकानन्द स्तुति, जय जय केशरिया साफे की, सम्पादकीय – शिकागो व्याख्यान की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि, शिकागो के विश्वधर्म सम्मेलन में विवेकानन्द प्रदत ऐतिहासिक व्याख्यान, वैश्विक चिन्तन के क्षेत्र में विवेकानन्द के शिकागो व्याख्यान का योगदान, स्वामी विवेकानन्द का भारत परिभ्रमण...विश्वधर्म-सम्मेलन का तात्पर्य, यथार्थ शरणागति का स्वरुप, विश्वधर्म सम्मेलन में सम्मिलित स्वामी विवेकानन्द कैसे प्रेरित हुए, भजन – माँ भक्ति, ज्ञान, प्यार दो।, बड़े पुण्य से सत्संग मिलता है, विश्वधर्म...और पाश्चात्य यात्रा हेतु विवेकानन्द को प्रेरित करने वाले व्यक्ति, प्रेरक लघु कथा – कबीर कुसंग न कीजिए, कबहुँ न होय कल्याण, बच्चों का आंगन – भैंसा ने मंत्र उच्चारित किया।

इस मासिक पत्रिका की एक प्रति 30 रुपए की रहती है।

 

दिव्य जीवन

    यह दिव्य जीवन संघ की मासिक पत्रिका है, जो हिंदी व अंग्रेजी दो भाषाओं में प्रकाशित होती हैं। इसमें मूलतः स्वामी शिवानन्द व उनके मुख्य शिष्यों के शिक्षाप्रद लेख व उद्बोधन रहते हैं, जिनमें साधकों के पथ को आलोकित करता भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान के प्रवाह को देखा जा सकता है।

     दिसम्बर 2019 के हिंदी अंक में प्रकाशित सामग्री कुछ इस प्रकार से थी। कवर पृष्ठ पर स्वामी शिवानन्दजी का मुख्य संदेश था व अगले पृष्ठ में विश्व प्रार्थना कविता के साथ अहिंसा का अभ्यास कीजिए लघु संदेश था। पहला पृष्ठ कठोपनिषद के श्लोक के साथ शुरु होता है। अगले पृष्ठों में प्रकाशित लेख थे – महागुरुवर्णमात्रिकास्रोतम (ज्ञानभास्कर महामहोपाध्याय श्री एस. गोपाल शास्त्री), श्री मद्भगवद्गीता पर आधारित भारतीय संस्कृति (स्वामी शिवानन्दजी महाराज), आध्यात्मिक जीवन में सफलता का रहस्य (स्वामी चिदानन्द), तिरु नीलकण्ठ नयनार (स्वामी शिवानन्द), मन के साथ सही सम्बन्ध (स्वामी चिदानन्द), योगाभ्यास में बाधाएं (स्वामी कृष्णानन्द), श्री स्वामी शिवानन्दजी का व्यक्तित्व (श्री एन. अनन्तनारायणन्), भय़(स्वामी शिवानन्द), वाल जगत (सन्त फ्रांसिस जेवियर), सरल जीवन विताइए (स्वामी शिवानन्द) तथा दिव्य जीवन संघ के समाचार, कार्यक्रम व सूचनाएं। अंत में स्वामी शिवानन्द प्रदत्त बीस महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नियम दिए गए हैं, जो पठनीय एवं अनुकरणीय हैं। अंत में गुरु-शिष्य को लेकर लघु संदेश के साथ इस 48 पृष्ठीय पत्रिका का समापन होता है। पत्रिका का वार्षिक शुल्क 100 रुपए रखा गया है। दिव्य जीवन पत्रिका की पीडीएफ कॉपीज संघ की वेबसाईट पर उपलब्ध हैं, जिन्हें सुधी पाठक आसानी से निशुल्क भी पढ़ सकते हैं।[xi]

 

योगोदो सतसंग,

शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए समर्पित अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित एक त्रैमासिक आध्यात्मिक पत्रिका है[xii], जिसकी स्थापना परमहंस योगानन्द द्वारा वर्ष 1925 की गई थी। इसमें जीवन की प्रकृति, मृत्यु, पुनर्जन्म, वैश्विक घटनाओं के प्रति आध्यात्मिक दृष्टि, मन की शक्तियों का विकास, ईश्वर से व्यैक्तिक सम्बन्ध की स्थापना, वर्तमान जीवन की जटिलताओं के बीच संतुलन की साध जैसे विषय शामिल रहते हैं।

पत्रिका के घोषित उद्देश्य कुछ इस प्रकार से हैं[xiii]-

  • परमहंस योगानन्द एवं उनके अंतरंग शिष्यों की अप्रकाशित प्रवचनों एवं लेखों का प्रकाशन।
  • विज्ञान एवें धर्म के समन्वय पर लेखों का प्रकाशन।
  • योगोदा सतसंग सोसायटी की गतिविधियों, समाचार एवं चित्रों का प्रकाशन।
  • परमहंस योगानन्द के संग्रहित चित्रों का पुनर्प्रकाशन।
  • आध्यात्मिक पथ पर प्रेरित करने वाले अनुभवों एवं कथाओं का प्रकाशन।

रंगीन छपाई के साथ प्रकाशित यह पत्रिका कागज की उच्चस्तरीय गुणवत्ता लिए रहती है। हालाँकि यह पत्रिका योगोदा सोसायटी के साधक वृंदों तक ही सीमित है, जिसका प्रसार अभी सर्वसुलभ नहीं है। लेकिन अपने उच्चस्तरीय आध्यात्मिक कंटेट के कारण पत्रिका गंभीर पाठकों एवं आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए प्रेरक मार्गदर्शन प्रदान करती है।

योगोदा सतसंग के अप्रैल-जून2019 विशेषांक में कवर किए गए विषय थे – एन इंट्रोडक्शन टू दिस स्पेशल इश्यू, हाईएस्ट अचीवमेंट थ्रू सेल्फ-रियलाईजेशन (श्रीश्री परमहंस योगानन्द), ट्यूनिंग इन टू गोड्ज ऑम्नीप्रेजेंस (श्रीश्री मृणालिनी माता), द न्यू एडिशन ऑफ द वाईएसएस,एसआरएप – एन ऑवरव्यू एंड हिस्टरी, योगोदा सतसंग न्यूज।इस त्रैमासिक अंग्रेजी पत्रिका का मूल्य 30 रुपए एक प्रति रहता है, जबकि इसका हिंदी संस्करण का मूल्य 15 रुपए है।

 

ज्ञानामृत

यह ब्रह्माकुमारी समाज की मासिक पत्रिका है, जो वर्ष 2019 में 55वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इसके वर्तमान मुख्य सम्पादक हैं ब्र.कु. आत्मप्रकाश, सम्पादक हैं – ब्र.कु. उर्मिला, शांतिवन।

ज्ञानामृत के सितम्बर 2019 के अंक की विषयवस्तु थी – संजय की कलम से (चोरी), सच्ची आस्तिकता (सम्पादकीय), सही कीमत का टैग, प्रश्न हमारे, उत्तर दादीजी के, पत्र सम्पादक के नाम, आनन्दमय जीवन के सुत्र, परमात्मा से प्यार या भय, जीत सच्चाई की, दुखों से उबारा प्यारे बाबा ने (अनुभव), हार्ट अटैक डे बना वेलेन्दाइन डे (अनुभव), संभालिए अपने संग को, कलियुग की कालिमा के पीछे छिपा है स्वर्णिम भौर, आईए क्रोध को जीतें, दूर नशे से रहना सीखें (कविता), मेरा सिर्फ एक और तुम्हारे हजार, बीती बातों का बोझ फैंक डालो, जिसको फूल बनाते हैं (कविता), इतना भी कठिन नहीं है यह जीवन, धर्म-कर्म और भाग्य, सचित्र सेवा समाचार, अब जीवन में कोई विघ्न नहीं है (अनुभव) आदि। इसकी मासिक प्रति का मूल्य 8.50 रुपए रहता है।

 

चिन्मय चन्द्रिका,

यह चिन्मय मिशन की हिंदी आध्यात्मिक पत्रिका है, जो वर्ष 2019 में वर्ष 19 में प्रवेश कर चुकी है। इसका मूल्य 20 रुपए रहता है। स्वामी गंगेशानन्द इसके सम्पादक हैं। इसके मार्च-आप्रैल 2018 अंक की विषय वस्तु कुछ इस प्रकार से थी – सम्पादकीय, भक्ति का मार्ग (स्वामी तपोवनजी महाराज), वासनावृद्धि (स्वामी चिन्मयानन्द), चार पुरुषार्थ, पापा-पुण्य भोग, आत्मा की निर्विकारता, पुस्तक परिचय, सृष्टि की रचना, विचार शक्ति (स्वामी शिवानन्द सरस्वती), हनुमान चरित्र, शांति का साधन, यजुर्वेद रुद्राध्याय – संक्षिप्त व्याख्या, पत्र-पुष्प अर्पण का माहात्म्य, समर्पण, चिन्मय समाचार।

 

ईशा लहर-

सद्गुरु जग्गी वसु द्वारा प्रवर्तित ईशा फाउंडेशन की मासिक आध्यात्मिक पत्रिका है, जिसकी पंच लाईन है –ज्ञान-ध्यान-आनन्द, जो पाठकों को खुशहाल और संपूर्ण जीवन का निमंत्रण देती है। पत्रिका के उद्देश्य एवं मिशन को पत्रिका की भाषा में निम्नरुप में समझा जा सकता है[xiv]-

आज के बाजारीकरण के युग में, जहां नई पीढ़ी हमारी शानदार सांस्कृतिक विरासत से अनजान है तथा मानवीय मूल्यों में लगातार क्षय हो रहा है, वहां ईशा लहरअपनी संस्कृति को आधुनिक और वैज्ञानिक शैली में प्रस्तुत करके नई पीढ़ी कोएक नया नजरिया और दिशा दे रही है।

ईशा लहर में अध्यात्म के गहन व गूढ़ पहलुओं के पीछे छुपे रहस्य कोवैज्ञानिक तरीके से तर्क के माध्यम से स्पष्ट किया जाता है। अध्यात्म सेजुड़े सभी पहलुओं को आप विस्तार से जानेंगे ईशामृतम में।

इस तरह इंसानी जीवन के तमाम पहलुओं के मर्म, विज्ञान और महत्व को स्वयं में समेटे 68 पेज की रंगीन पत्रिका ईशा लहर आध्यात्मिक पत्रकारिता के क्षेत्र में एक अभिनव पहल है, जिसका कोई मूल्य निर्धारित नहीं है। वेबसाईट पर आप पे एज यू विश[xv] की नीति के अनुरुप यह पाठकों से स्वेच्छिक अनुदान की माँग करती है।

ये कुछ आध्यात्मिक पत्रिकाएं हैं, जो शोधार्थी लेखक को उपलब्ध हुई हैं, जिनकी विषय वस्तु को देखते हुए इन्हें आध्यात्मिक पत्रकारिता की संवाहक पत्रिकाएं कहा जा सकता है। अभी कई महत्वपूर्ण पत्रिकाएं हो सकता है छूट रही हों, विशेषरुप में विविध धर्मों के आध्यात्मिक प्रवाह की संवाहक पत्रिकाएं। इनमें भी विशेषरुप में अन्य भाषाओं व अंग्रेजी में प्रकाशित आध्यात्मिक पत्रिकाएं।

 

 

संदर्भ -



[i]. डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, पूर्वांचल, पृ. 52-53

[ii]http://www.kalyan-gitapress.org/annual_numbers.html,retrieved on 16/12/2019

[iii]. नवनीत, भारतीय विद्या भवन, अक्टूबर, 2009, पृ.120

[iv]https://www.lifepositive.com/magazine/preview/book.php?id=MjAwMTM=#book5/page1,retrieved on27/12/2019

[v]https://www.lifepositive.com/magazine/preview/book.php?id=MjAwMTc=#book5/page1,retrieved on27/12/2019

[vi]https://www.lifepositive.com/magazine/preview/book.php?id=MjAwMjQ=#book5/page1,retrieved on27/12/2019

[vii]http://sriaurobindoashram.net/All_PDF/Karmadhara%2021.02.2017.pdf,retrieved on27/12/2019

[ix] Ibid

[x]www.chennaimath.org, retrieved on 29/11/2019

[xiii] Ibid

[xv] Ibid

 

 

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