Coverage of spiritual content in
newspapers
ऐतिहासिक विकास क्रम की दृष्टि
से देखें तो भारतीय प्रिंट मीडिया में आध्यात्मिक सामग्री को लेकर आपात के बाद के दशक
में एक नया आयाम जुड़ना शुरु होता है। दैनिक पत्र जनसत्ता, नवभारत टाइम्स एवं अमर
उजाला आदि समाचार पत्रों में दैनिक आध्यात्मिक स्तम्भ शुरु होते हैं। इसी क्रम में अन्य दैनिक पत्र भी अपना दैनिक
धर्म अध्यात्म सम्बन्धित स्तम्भ शुरु करते हैं और दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान,
राष्ट्रीय सहारा जैसे राष्ट्रीय अखबारों में यह स्तम्भ क्रमशः धर्म मार्ग, अनहद
(अब मनसा वाचा कर्मणा), सतसंग(वर्तमान में प्रतीकात्मक पूजा के हाथ व बीच में
सूर्य) आदि नाम से शुरु होता है। इसी तरह टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिन्दू, हिन्दुस्तान
टाइम्स आदि अंग्रेजी अखबार अपना आध्यात्मिक कॉलम स्पीकिंग ट्री, रिलीजन, इनर वॉयस
आदि नाम से शुरु करते हैं।
हिंदी समाचार पत्रों के दैनिक आध्यात्मिक
स्तम्भ एवं साप्ताहिक परिशिष्ट–
अमर उजाला (धर्म क्षेत्रे एवं श्रद्धा)
लगभग 300 शब्दों
में छपने वाला धर्म क्षेत्रे स्तम्भ अपने समय का सम्भवतः हिन्दी के
दैनिक आध्यात्मिक स्तम्भों में सबसे अधिक पठनीय रहा। क्योंकि सर्वप्रथम तो यह संस्मरण शैली में रहता था, इसके छोटे छोटे
कथानक पाठकों को रुचिकर लगते थे और इसके माध्यम से दिया गया संदेश सरलता से
ह्दयंगम होता था। फिर इसका संदेश बहुत मार्मिक रहता था। जीवन के गूढ रहस्यों एवं
गंभीर सत्यों को यह सर्वसाधारण प्रसंगों से जोड़कर पाठकों के अंतस में आसानी से
उतारता था। बाकि समाचार पत्रों से हटकर इसका लेखन एक ही व्यक्ति करते रहे, वे थे आध्यात्मिक
पत्रकारिता के अगुआ– श्री शिवकुमार गोयल। इसमें सनातन धर्म के विविध पंथों के
महापुरुषों के जीवन संस्मरण भी रहते और अन्य धर्मों के पैगम्बर, महापुरुष एवं देवमानव
आदि भी। धर्म अध्यात्म के व्यावहारिक मर्म का उद्घाटन इस स्तम्भ का मुख्य ध्येय रहा,
जिससे कि धर्म अध्यात्म के नाम पर भ्रम भ्राँतियों का कुहासा छंटे व आम पाठक का
जीवन भटकाव भरी पगडंडियों की बजाए राजमार्ग पर अग्रसर हो सके।
इनके विहंगावलोकन
से स्पष्ट है कि इस स्तम्भ में प्राचीन काल से लेकर मध्यकालीन एवं आधुनिक काल के
भारतीय संत, अध्यात्मिक पुरुषों के प्रेरक प्रसंग रहते थे। साथ ही सनातन धर्म की
सभी शाखाओं के प्रवर्तकों तथा दूसरे सभी धर्मों की शिक्षाएँ भी रहती थीं।
श्री शिवकुमार गोयल
के देहावसान के बाद इस स्तम्भ के स्वरुप व सम्पादकीय पृष्ठ में इसके स्थान को लेकर
परिवर्तन होते रहे हैं। अगस्त 2016 तक यह स्तम्भ अंतर्यात्रा नाम से प्रकाशित होता
रहा और इसके बाद आज अमर उजाला का यह आध्यात्मिक स्तम्भ सत्संग नाम से प्रकाशित हो
रहा है, जिसमें किसी लेखक का नाम नहीं होता व इसे संकलित नाम से प्रकाशित किया
जाता है और यह सम्पादकीय पृष्ठ के मिड बॉटम में रहता है। अभी पुनः यह स्तम्भ
आर्काईव से अंतर्यात्रा के नाम से अमर उजाला में प्रकाशित हो रहा है।
सप्ताह में शनिवार
एवं रविवार के दिन यह स्तम्भ प्रकाशित नहीं होता।
अमर उजाला में शनिवार
के दिन दैनिक आध्यात्मिक स्तम्भ की वजाय श्रद्धा नाम से साप्ताहिक
आध्यात्मिक परिशिष्ठ निकलता है। इसमें प्रायः सप्ताह में पड़ने वाले पर्व
त्यौहार, महापुरुषों की जयन्ती पर विशेष आलेख रहते हैं, जैसे - वसंत पंचमी,
महाशिवरात्री, महाकुंभ, मलमास, नवरात्रि, एवं हनुमान जयन्ती, महावीर जयन्ती आदि।
पुत्रदा एकादशी, नवसंवत्सर आदि पर भी इसमें लेख रहते हैं। इसी तरह दूसरे धर्म के
पर्व त्यौहारों एवं महापुरुषों यथा वैसाखी, गुड फ्राइडे, गुरजिएफ के जीवन संस्मरण
आदि का भी चित्रण इसमें मिलता है।
पृष्ठ के निचले हिस्से
में राशिफल, वर्ग पहेली, सुडोकु आदि रहते हैं।
शुक्रवार के दिन लगभग आधे
पृष्ठ में कल्पवृक्ष के नाम से एक परिशिष्ट अध्यात्म विषयक सामग्री पर भी
अमर उजाला में प्रकाशित हो रहा है, जो प्रायः ऑप-एड पृष्ठ के पीछे पृष्ठ 14 पर
होता है और कभी पृष्ठ 8 पर भी रहता है।
दैनिक जागरण (धर्म मार्ग एवं ऊर्जा)
दैनिक जागरण में
अध्यात्म प्रधान स्तम्भ धर्म मार्ग लगभग 350 शब्दों में छपता है। अध्यात्म
पथ, इस पर चलने में सहायक एवं बाधक तत्वों एवं दैवीय गुणों पर इसमें विशेष फोकस
रहता है। यदा कदा महापुरुषों के जीवन प्रसंग भी जन्म तिथि के अनुरुप इसमें आते
रहते हैं।
अमर
उजाला के संकलित विचारों से अलग इसमें विविध विचारकों के लेख आते रहते हैं, जो
जीवन विद्या के जानकार प्रतीत होते हैं। यह स्तम्भ संपादकीय पृष्ठ में दायीं ओर बीच
में छपता है।
अवलोकन से स्पष्ट
है कि इस स्तम्भ में भारतीय अध्यात्म एवं संस्कृति की पृष्ठभूमि में सत्प्रेरणा
उभारने, जीवन के साधना पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का प्रयास रहता है।
समय के साथ दैनिक
जागरण के दैनिक आध्यात्मिक स्तम्भ धर्म मार्ग, ऊर्जा के नाम से प्रकाशित होता
है, जो रविवार को छोड़कर पूरे सप्ताह भर छपता है।
दैनिक जागरण में साप्ताहिक
आध्यात्मिक परिशिष्ट सप्तरंग,अंतस और अध्यात्म का, के नाम से हर मंगलवार
को प्रकाशित होता है। यह अमर उजाला की तर्ज में तीन चौथाई पृष्ठ पर लेखों से
भरा होता है, जिसमें पर्व त्यौहार, जयंती, आध्यात्मिक चिंतन आदि पर लेख रहते हैं।
साथ में सप्ताह के व्रत त्यौहार का भी एक कॉलम रहता है।शेष भाग में राशि फल, वर्ग
पहेली, टीवी कार्यक्रम, अगले 24 घंटे का तापमान, सुडोकू पहेली आदि रहते हैं।
दैनिक हिन्दुस्तान – (अनहद (मनसा, वाचा,
कर्मणा) एवं धर्मक्षेत्रे, अनंत अध्यात्म)
हिन्दुस्तान का
आध्यात्मिक स्तम्भ अनहद भी दैनिक जागरण की तरह लगभग 350 शव्दों में छपता है
और कई विचारकों द्वारा लिखा जाता है। पिछले दिनों तक यह अनहद के नाम से रहता था।
अभी यह मनसा वाचा कर्मणा के नाम से प्रकाशित किया जा रहा है। यह स्तम्भ भी
सम्पादकीय पृष्ठ में मध्य भाग में प्रकाशित होता है। इसमें कई बार लेखकों का नाम
नहीं भी रहता है।
इस स्तम्भ का
प्रयास भी आत्मिक जीवन की सत्प्रेरणा एवं शांतिपूर्ण अस्तित्व का भाव रहता है। हाल
ही में इसमें जो कवरेज चल रही है, उसके तहत धर्म-अध्यात्म विषयों की वजाए यह जीवन
के व्यवहारिक पहलुओँ पर अधिक केंद्रित रहता है।
साप्ताहिक परिशिष्ट धर्मक्षेत्रे हर मंगलवार को
निकलता है, जो सम्पादकीय पृष्ठ की सामने ऑप-एड पृष्ठ पर रहता है। इसमें
धर्म अध्यात्म विषयक एक मुख्य आलेख रहता है, जो प्रायः आधे से अधिक पृष्ठ को कवर
किए होता है।
धर्मक्षेत्रे के
अतिरिक्त हिंदुस्तान हर दूसरे मंगलवार को अनंत अध्यात्म नाम से भी परिशिष्ट
प्रकाशित करता है, जिसका स्वरुप बहुत स्पष्ट नहीं है। इसमें प्रायः एक आध्यात्मिक
चिंतन प्रधान लेख रहता है। उसी के समानान्तर नीचे महापुरुषों के प्रवचन रहते हैं।
एक छोटी सी बोध कथा रहती है। प्रायः ध्यान को लेकर एक लघु स्तम्भ रहता है।
राष्ट्रीय सहारा – (सतसंग एवं धर्म-दर्शन)
इसका आध्यात्मिक
परिशिष्ट सतसंग वर्ष 2009 में आरम्भ हुआ था। सत्संग नाम से निकलने वाला यह
आध्यात्मिक स्तम्भ बाकि पत्रों से एक मायने में भिन्न है, कि इसमें केवल प्रतिष्ठित
धर्मगुरुओँ एवं आचार्यों की शिक्षा सार को ही स्थान दिया जाता है। इसका आकार
भी बाकि हिन्दी स्तम्भों से बड़ा है, यह लगभग 525 शब्दों में छपता है। यह स्तम्भ
संपादकीय पृष्ठ के दायी और शीर्ष में स्थान रखता है।
राष्ट्रीय सहारा का
साप्ताहिक आध्यात्मिक स्तम्भ धर्म-दर्शन नाम से प्रत्येक सोमवार को
प्रकाशित होता है। इसका स्वरुप बहुत स्पष्ट एवं निर्धारित नहीं है, हालाँकि इसके
पूरे पृष्ठ में धर्म, अध्यात्म से जुड़ी सामग्री भरी रहती है। एक मुख्य आलेख के
अतिरिक्त सप्ताह के व्रत-त्यौहार का एक स्तम्भ सुनिश्चित है। इसके अतिरिक्त पर्व
त्यौहार, जयंती आदि पर लेख आते रहते हैं। ज्योतिष को लेकर भी प्रायः लेख छपते हैं।
तीर्थ यात्रा एवं दूसरे धर्मों के ग्रंथों व धर्म स्थलों को लेकर भी इसमें लेख
दिखते हैं।
उपरोक्त हिंदी
समाचार पत्रों के अतिरिक्त हिंदी में पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्यून, नवभारत टाइम्स,
दैनिक भास्कर जैसे समाचर पत्रों में भी आध्यात्मिक सामग्री को साप्ताहिक पृष्ठों
में स्पेस मिलता है।
पंजाब केसरी में सप्ताह में एक
दिन, सोमवार को चार पृष्ठीय धर्म-कर्म पत्रिका के रुप में
धर्म-अध्यात्म की चर्चा होती है, जिसके अंतर्गत प्रमुखतया विविध धर्म-अध्यात्म
समूहों के प्रवर्तकों, गुरुओं एवं आचार्यों की शिक्षाओं को धारावाहिक रुप में
प्रस्तुत किया जाता है। धर्म-कर्म के पृष्ठ-4 का मुख्य लेख टॉप
सेंटर में सिक्ख धर्म के गुरु साहिवानों के जीवन व शिक्षा पर आधारित रहता है,
जो खासा पठनीय रहता है।
इस तरह पंजाब केसरी
के धर्म-कर्म परिशिष्ट में भारत की विभिन्न आध्यात्मिक परम्परा की शिक्षाओं को
समेटने का प्रयास रहता है। अखबार के उत्तर भारत तक सिमटे होने के नाते स्वाभाविक
रुप से पाठकों के रुझान को देखते हुए स्तम्भों के चयन के प्रयास को समझा जा सकता
है। साथ ही विभिन्न धर्मों की शिक्षाओं को भी इसमें समाहित करने का प्रयास दिखता
है।
दैनिक ट्रिब्यून की आध्यात्मिक कवरेज -
चण्डीगढ़ से
प्रकाशित होने वाले हिंदी समाचारपत्र दैनिक ट्रिब्यून में अध्यात्म का
साप्ताहिक स्तम्भ आता है, जो हर सोमवार को अंतर्मन के नाम से संपादकीय
पृष्ठ में रहता है। लगभग 800 शब्दों में प्रकाशित यह स्तम्भ पठनीय रहता है।
इसके
अतिरिक्त आस्था के नाम से इसका पूरा आध्यात्मिक पृष्ठ प्रकाशित रविवार के
दिन प्रकाशित होता है, जो पठनीय रहता है। इसमें इस दौरान पडने वाले व्रत त्यौहारों
का वर्णन, व विभिन्न धर्मों के तीर्थस्थलों के रोचक विवरण रहते हैं।
अँग्रेजी समाचार पत्रों के दैनिक आध्यात्मिक
स्तम्भ एवं साप्ताहिक परिशिष्ट
टाइम्स ऑफ इंडिया – (द स्पीकिंग ट्री एवंमाइंड ओवर मेटर)
टाइम्स ऑफ इंडिया
का दैनिक स्तम्भ द स्पीकिंग ट्री प्रबुद्ध अंग्रेजी पाठकों के बीच
काफी लोकप्रिय रहा है। आकार, गुणवत्ता एवं विविधता की दृष्टि से भी यह स्तम्भ शायद
हिंदी अंग्रेजी अखबारों के सभी स्तम्भों पर भारी पड़ता है। समाचार पत्र के
सम्पादकीय पृष्ठ के बॉटम सेंटर में लगभग 650 शब्दों में छपने वाले इस
स्तम्भ में प्रतिष्ठित धर्मगुरुओँ, देशी विचारक मनीषी एवं विदेशी प्रबन्धन तथा
आध्यात्मिक गुरुओँ के प्रवचनों, शिक्षाओँ और विचारों को स्थान दिया जाता है। दूसरे
धर्मों के आचार्यों को भी इसमें स्थान मिलता है।
टाइम्स ऑफ
इंडिया का साप्ताहिक
परिशिष्टमाइंड ओवर मेटर, हर रविवार को सम्पादकीय पृष्ठ के सामने
वाले पन्ने पर प्रकाशित होता रहा है, जो काफी पठनीय रहता था। 12 पृष्ठ का स्पीकिंग
ट्री नाम से स्पलीमेंट निकालने के साथ ही जून 2010 से इस सत्म्भ को विराम दिया गया।
इसकी सूक्तियाँ बहुत मर्मस्पर्शी एवं अंतःप्रकाशक रहती थीं। साथ ही मुख्य आलेख
विचारणीय रहता था। साथ ही किसी एक सेलीव्रिटी का आई एम कॉलम उसकी जीवन
आस्था और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समेटे रहता था। आत्मविकास में सहायक पुस्तकों की
समीक्षा का एक स्तम्भ भी रहता था। साथ ही रहता था मेल वॉक्स, जिसमें पाठकों के
पत्र रहते थे।
कुल मिलाकर टाइम्स
ऑफ इंडिया का यह स्तम्भ अन्य हिंदी व अंग्रेजी के साप्ताहिक परिशिष्ठों से अधिक
प्रयोगधर्मी, इंटरएक्टिव और प्रगतिशील दिखा, जिससे विशेषकर हिंदी व अंग्रेजी के
पत्र कुछ नए प्रयोग अपने अखबारों में कर सकते हैं।
इसका नवीनतम प्रयोग
रविवार का 8 पृष्ठीय पत्रिकानुमा स्पेशल सप्लीमेंट द स्पीकिंग ट्री है, जो
शायद आध्यात्मिक पत्रकारिता के क्षेत्र की भारतीय प्रिंट मीडिया की एक अभिनव पहल
है। इसकी शुरुआत 28 फरवरी, 2010 रविवार के दिन किया गया था। इसके प्रति पाठकों का
अभूतपूर्व रिस्पोंस देखते हुए इसे आगे जारी रखा गया और आज यह 8 पृष्ठीय साप्ताहिक सप्लीमेंट
के रुप में प्रकाशित हो रहा है, जो एक पत्रिका का स्वरुप लिए होता है। इसका उद्देश्य
था, पाठकों को ऐसी पाठ्यसामग्री देना जो मित्र की तरह हंसाए-गुदगुदाए और विश्रांति
के साथ आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करे।
पाठकों ने लिखा था
कि दिन की व्यस्त दिनचर्या के बीच मन को शांत करने और अंदर झाँकने का मौका ही नहीं
मिल पाता। यह परिशिष्ट हर रविवार इस दिशा में एक मित्र-मार्गदर्शक-चिकित्सक की
भाँति मदद करता है।
इसमें विज्ञापन से
भी एक से दो पृष्ठ भरे रहते हैं, हालाँकि ये धर्म-अध्यात्म से सम्बन्धित
विद्यालयों, वस्तुओं, स्थान आदि से जुड़े रहते हैं।
द हिन्दू – (रिलीजन)
मद्रास से अंग्रेजी
में प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र द हिन्दु में अध्यात्म विषयक
कॉल्म रिलीजन के नाम से छपता रहा है, जो अब बन्द हो चुका है। इसका एक सुनिश्चित
ढर्रा रहता था, जो इसे बाकि हिन्दी एवं अंग्रेजी के अखबारों से इसे अलग करता था।
लगभग 440 शब्दों में छपने वाला यह स्तम्भ पारम्परिक ढंग से निकलता था, जिसमें कोई
लेखक नहीं होता था। ये प्रायः दक्षिण भारत के समकालीन संत, महात्मा एवं धर्माचार्यों
के प्रवचनों पर आधारित होता था, जिसमें इनका नाम लेख के अंदर रहता था। गंभीर
आध्यात्मिक सामग्री से भरा यह कॉलम शायद आधुनिक सोच वाले युवाओँ में उतना लोकप्रिय
नहीं रहा हो, जितना कि पारंपरिक धर्माबलम्वियों एवं मुमुक्षु साधकों के बीच।
अब यह स्तम्भ बन्द
हो चुका है। साथ ही द हिंदु में धर्म अध्यात्म विषय पर किसी साप्ताहिक परिशिष्ट का
प्रकाशन नहीं रहता।
हिन्दुस्तान टाइम्स – (इन्नर वॉयस)
लगभग 400 शब्दों
में इनर वॉयस के नाम से छपने वाला हिंदुस्तान टाइम्स का अध्यात्मपरक स्तम्भ
वर्ष 2009 के अंत तक प्रायः नियमित रुप से छपता रहा, किंतु बीच में यह बंद पड़ गया
था। इस स्तम्भ का विलुप्त हो जाना, इसके नियमित पाठकों को खटका था। वर्ष 2010 में
यह पुनः शुरु हुआ, जो दूसरे या तीसरे पृष्ठ पर छपता रहा, लेकिन अनियमितता का शिकार
भी रहा। वर्तमान में भी यह स्तम्भ नहीं दिखता।
द पायोनियर(एजेंडा-
स्पिरिचुअलिटी) –
इसमें दैनिक स्तम्भ
नहीं रहता, लेकिन रविवार के दिन संडे मेगजीन, एजेंडा परिशिष्टके
अंतर्गत पृष्ठ2 स्पिरिचुअलिटी के अंतर्गत आध्यात्मिक कवरेज होती है।
29 सितम्बर, 2019 रविवार को इसका मुख्य लेख था, राधानाथ स्वामी महाराज का टाइम
टू लेट गो ओफ वरी। इसके वायीं ओर था प्रमोद पाठक का गाँधी-द ग्लोवल आइकन।
पृष्ठ के बॉटम में दो लेख थे, क्रमशः हैप्पीनेस इज ट्रू वेल्थ (डॉ. अवधेश
सिंह) और ह्यूमेन्ज् एंड इंटेलीजेंस ( अजित कुमार बिश्नोई)। एजेंडा के
पृष्ठ 4 में रहता है एस्ट्रोटर्फ स्तम्भ के अंतर्गत भारत भूषण पदमदेव का स्तम्भ
रहता है ज्योतिष विज्ञान की अध्यात्म प्रधान व्याख्या से जुड़ा लेख, जो 2 सितम्बर
को था –टेक चार्ज ऑफ यूअर एक्शन्ज। इसी तरह 22सितम्बर, 2019 का लेख था -एम्पावर
यूअर माइंड फॉर सक्सेस।
सोमवार के दिन,
वाइवेसिटी(माइंड स्पेस) परिशिष्ट के अंतर्गत, राजयोगी ब्रह्माकुमार
निकुंजजी का एक लेख रहता है। 23सितम्बर,2019, सोमवार को जो था -द राइट सर्विस।
इकोनॉमिक्स टाइम्स– (कॉस्मिक अपलिंक,
स्पीकिंग ट्री)
लगभग 450 शब्दों में
छपने वाले कॉस्मिक अपलिंक नामक इस कॉलम में विद्वतापूर्ण एवं
विचारोत्तेजक सामग्री रही है। यह कॉलम सम्पादकीय पृष्ठ के दायीं और टॉप में स्थान
पाता है। द टाइम्स ऑफ इंडिया से भिन्न इसमें लिखने वाले लेखक चयनित रहते हैं। इस
समय यह स्तम्भ द स्पीकिंग ट्री के नाम से प्रकाशित हो रहा है व खासा पठनीय रहता
है।
रविवार के दिन यह
स्तम्भ प्रकाशित नहीं होता।
इस तरह
यह स्पष्ट होता है कि हिंदी के किसी अपवाद को छोड़कर अधिकाँश अखबारों में दैनिक
एवं साप्ताहिक आध्यात्मिक कवरेज का चलन है, जबकि अंग्रेजी के अखवार इस संदर्भ में
कुछ अपवाद को छोड़कर अधिकाँशतः उदासीनता लिए हुए हैं। हिंदी एवं अंग्रेजी
समाचारपत्रों के मध्य यह विरोधाभास स्वयं में एक शोध-अध्ययन की विषय वस्तु है।
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